गणगौर उत्सव की सरल पूजा विधि
गणगौर शिव और पार्वती के एक आदर्श विवाह का उत्सव है । नाम से ही एक प्रतीकात्मक संघ है - गण शिव और गौरी पार्वती के लिए एक और नाम है।
गणगौर की तिथि :- चैत्र (शुक्ल पक्ष् ) तृतीय
पूजा सामग्री
गणगौर की तसवीर
- एक सफेद कागज (दिवार पे चिपकने के लिए टेप )
- रोली
- मेहंदी
- काजल
- चावल
- मोली
- कोडी
- पूरे सुपारी
- हल्दी की गांठ
- चांदी की अंगूठी
- एक सिक्का
- पानी से भरा लोटा
- कच्चा दूध
- फूल
- हरी घास ( दुब )
- झवारा (गेहूं की घास )
- 8 विवाहित /16 नव विवाहित महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के लिए ) गेहूं के आटे से बने उबले हुए या तला हुआ फल/ ढोकला
- बाईने की कटोरी मैं 5 फल और अपने इक्छा अनुसार पैसे (विवाहित लड़कियों के लिए )
पूजा विधि
पूजा करते वक्त नाथ
और चुनड़ी लेते है | एक
बार यह पूजा शुरू
कर देते है तो
बीच में नहीं उठते
| पूजा गणगौर
के गीत के साथ
शुरू करें |
गीत गाते हुए कई लोग अपने परिवार का नाम लेते है ।
परिवार का नाम इस प्रकार ले सकते है:- 1 . जहां ईसरजी और गोरा बाई का नाम आता है वहां घर के बेटे और बहु का नाम लेते है, 2. जहां रोवा या सोवा और सुरजमलजी का नाम आता है वहां घर की बहन बेटी और जवाई का नाम लेते है ।3. जहां कनिरमजी का नाम आता है वह घर के कुंवारे बेटे का नाम लेते है । 4. और जहां ब्र्ह्मदसजि का नाम आता है वह दादाजी का नाम लेते है ।
गीत गाते हुए कई लोग अपने परिवार का नाम लेते है ।
परिवार का नाम इस प्रकार ले सकते है:- 1 . जहां ईसरजी और गोरा बाई का नाम आता है वहां घर के बेटे और बहु का नाम लेते है, 2. जहां रोवा या सोवा और सुरजमलजी का नाम आता है वहां घर की बहन बेटी और जवाई का नाम लेते है ।3. जहां कनिरमजी का नाम आता है वह घर के कुंवारे बेटे का नाम लेते है । 4. और जहां ब्र्ह्मदसजि का नाम आता है वह दादाजी का नाम लेते है ।
- एक चौकी पर गणगौर की डलिया या फोटो रखे |मूर्ति के पास एक सादे सफेद कागज चिपका दें।
- अपने माथे पर रोली और चावल का तिलक करे |
- प्रत्येक मूर्तियों के लिए दुब का दातुन बनाए , इसके साथ थोड़ा पानी ले और उनके मुंह को छुए ।
- इसके अलावा गणगौर पूजा करने के लिए कुछ झुवारा और कुछ अच्छा दुब अलग कर ले। और अब इसे अपने हाथ में रकखे , जब तक पूजा की जाती है।
- अब मूर्ति के रोली और चावल का तिलक लगाए । अब उनके हाथो मैं मेहंदी लगाए और आँखों मैं काजल लगाए (मेहंदी और काजल दुब से लगा सकते है |
- फिर मोली और फूलों चड़ाते हैं ।
- अब उन्हें फल प्रदान करते हैं।
- अब सादे सफेद कागज पर 16 छोटे डॉट्स रोली, मेहंदी और काजल से बनाते हैं।
- अब एक लोटी में दूध और पानी का मिश्रण है और कोडी , हल्दी (हल्दी ) , सिक्का , चांदी की अंगूठी और सुपारी छोड़ दें।
- अब दोनों हाथों में दुब के साथ कुछ झवारा लेते हैं और उन्हें दूध और पानी के लोटी में डुबोते है और मूर्तियों को पानी का छाटा 7 बार देते हैं| यह विधि करते हुआ छांटा का गीत गाते है (उठ उठ ए म्हारी गौर माता )।
- छांटा के बाद आरती करते है | आरती करने के लिए साड़ी लडकियां / औरतें अपना अपना दुब और झुवारा दाहिने हाथ से लोटी मैं दाल कर लोटी पकड़ते है | फिर आरता का गीत (मालन फहलडा सा ल्याई) गाते हुआ लोटी को आरती की तरह घुमाती है |
- अब एक हाथ में कुछ दुब ले और पानी और दूध के लोटे में डूबा दे और अपने दोनों हाथ के ऊपर अच्छा मोती बनाकर गणगौर की कहानी सुने ।
- कहानी समाप्त होने पर मूर्ति की ओर दुब के साथ अपने हाथ से सभी मोती पोंछ । और कुछ पानी ऊपर और सर पर छिड़के |
- अब दुब को लोटी में दाल कर लोटी के सात पकड़े और हल्का हल्का घुमाए | यह क्रिया ऐल खेल के गीत के सात की जाती है| गीत पूरा होने पर लोटी पलट देते है | यह माना जाता है कि जो पानी बह जाता है वह गोर और ईसरजी के स्नान के लिए जाता है।
- अब चढ़ाए हुआ फल में से आधा ले लें |
- गणगौर पूजा के पानी से कोडी , हल्दी , सिक्का , अंगूठी और सुपारी बाहर ले और उन्हें मूर्ति को छूए और फिर अपने अपने आँखों पर लगाए | गणगौर की दलीय अपने अपने सर पर लगाते है, यह माना जाता है की ऐसा करने पर हमे भगवान " ईसर को सो भाग और गोरा को सो सुहाग "देते है |
- अब अपना अपना बाइने की कटोरी ले कर बाईंना निकालते है और अपने सासु का पैर चु कर देते है|
वीनयकजी की पूजा के लिए, इस विडियो को देखें।
गणगौर पूजा के सभी गीत और उनके बोल के लिए, इस विडियो को देखें।
गीत निचे लिखें क्रम में गाए गए हैं :-
1. हरिये गोबर गोली दाबो
2. ओडो कोड़ो बीरा रांवला रे
3. हर्या ए झुंवारा
4. कोठ चिणाईयो राजा
5. गोर तिव्हारड़ देसां मारे
6. छांटा को गीत
7. आरती
8. ऐल खेेल
9. गणगौर की कहानी
10. सिठना
11. बधावा
Keep following for the latest update of all the forthcoming occasions.....
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